Anulom Vilom Benefits in Hindi-अनुलोम विलोम के 101 फायदे, प्राणायाम विधि और सावधानियाँ

अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? – Anulom Vilom Benefits in Hindi

अनुलोम विलोम प्राणायाम प्राचीन भारतीय योग में एक महत्वपूर्ण श्वास-प्रश्वास क्रिया है। इस प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करना और मानसिक शांति प्रदान करना है। अनुलोम विलोम का शाब्दिक अर्थ होता है “विपरीत दिशाएं।” इसका तात्पर्य यह है कि इस प्राणायाम में श्वास को एक नासिका छिद्र से भीतर लिया जाता है और दूसरे से बाहर छोड़ा जाता है। यह विधि नाड़ी शोधन के रूप में भी जानी जाती है, जिसमें नाड़ियों को शुद्ध करने की प्रक्रिया होती है।

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अनुलोम विलोम प्राणायाम की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित है, जहां इसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इस प्राणायाम की प्रक्रिया में सबसे पहले एक सुविधाजनक और शांत जगह पर बैठकर अपनी आंखें बंद करनी होती हैं। फिर, अपने दायें हाथ के अंगूठे से दायीं नासिका को बंद करके श्वास को बाएँ नासिका से भीतर लिया जाता है। तत्पश्चात दायें नासिका को खोलकर बाएँ नासिका को अगूँठे से बंद कर श्वास को बाहर निकाला जाता है। यही प्रक्रिया विपरीत दिशा में भी繕ाई जाती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम नियमित रूप से करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है, रक्तचाप में सुधार होता है और शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ती है। यह नाड़ी तंत्रों को सक्रिय करता है और तनाव तथा चिंता को कम करता है। योग में इसका विशेष स्थान इसलिए भी है क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है।

इसके साथ ही प्राणायाम के अभ्यास में विशेष ध्यान रखना आवश्यक है कि इसे धीरे-धीरे और नियमबद्ध तरीके से किया जाए ताकि इसके अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें। अनुलोम विलोम प्राणायाम सही ढंग से करने पर यह आत्मविकास और आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि – Anulom Vilom Kaise Karte Hain

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक लोकप्रिय योग तकनीक है जिसमें श्वास का विशेष रूप से विनियमन होता है। इसे प्रभावी तरीके से करने के लिए कुछ सरल चरणों का पालन किया जा सकता है।

पहला चरण: सही मुद्रा में बैठना

अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एक शांत और आरामदायक स्थान चुनें। वहाँ पर एक आरामदायक और स्थिर आसन में बैठें, जैसे कि पद्मासन या सुखासन। आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए और हाथ घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में होने चाहिए।

दूसरा चरण: श्वास लेना

अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को दाहिनी नासिका पर रखें और उसको बंद करें। अब बाईं नासिका से धीरे-धीरे और गहराई से श्वास लें। बगल की नाक से श्वास ग्रहण करना वह प्रकृति है जो कि ऊर्जा और शक्ति प्राप्त कर सकती है।

तिसरा चरण: नथुने बदलना

श्वास लेने के बाद, दाहिने नासिका से अंगूठा हटाएं और अनामिका या कनिष्ठिका से बाईं नासिका को बंद करें। अब दाहिने नासिका से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें। इसे अब दोहराएं, इस बार दाहिने नासिका से श्वास लें और बाईं नासिका से छोड़ें।

समय और अवधि

इस प्रक्रिया को 10-15 मिनट के लिए प्रतिदिन करना उपयोगी होता है। इसे सुबह के समय खाली पेट करना सबसे उचित माना गया है। यदि समय की कमी हो तो शाम के समय भोजन के तीन-चार घंटे बाद भी किया जा सकता है।

अनुलोम विलोम को नियमित रूप से करने से मानसिक स्थिरता, तनाव मुक्त जीवन और शारीरिक ऊर्जा में सुधार देखा जा सकता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे

अनुलोम विलोम प्राणायाम ने भारतीय योग परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। इसका नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है, बल्कि मानसिक संतुलन और शांति भी प्रदान करता है।

सबसे पहले, अनुलोम विलोम प्राणायाम मन की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यह तकनीक नासिका के माध्यम से विशिष्ट तरीके से श्वास लेने और छोड़ने पर आधारित है, जिससे मानसिक तनाव और चिंता कम होती है। इसके नियमित अभ्यास से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है और मन की शांति प्राप्त होती है।

श्वास प्रणाली के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम अत्यंत लाभकारी है। यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, श्वास मार्ग को साफ रखने और दमक एवं अस्थमा जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। रक्त संचार को सुधारते हुए, यह हृदय रोगों के जोखिम को भी कम करता है।

रक्त संचार में सुधार अनुलोम विलोम का एक और प्रमुख लाभ है। यह प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है, जिससे कोशिकाओं की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति को ऊर्जा और स्फूर्ति मिलती है और थकान कम होती है।

स्वास्थ्य लाभों की बात करें तो अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास कई रोगों को ठीक करने में सक्षम है। यह मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, और अन्य पुरानी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। अनुलोम विलोम नासिका मार्ग को शुद्ध करता है और शरीर के संशोधित तंत्र को संतुलित रखता है।

इस प्रकार, अनुलोम विलोम प्राणायाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक संपूर्ण समाधान प्रदान करता है। इसके नियमित अभ्यास से न केवल रोगों से मुक्त हुआ जा सकता है, बल्कि एक गंभीर और संतुलित जीवन की दिशा में भी कदम बढ़ाया जा सकता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय ध्यान रखने योग्य बातें – Anulom Vilom Pranayam Rules

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक प्राचीन योग तकनीक है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। हालांकि, इसे करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है, ताकि इसके लाभ सर्वोत्तम रूप से प्राप्त किए जा सकें और किसी प्रकार की असुविधा न हो। सबसे पहले, यह महत्वपूर्ण है कि यह प्राणायाम एक शुद्ध और शांत वातावरण में किया जाए। ध्यान रखें कि आपकी श्वास प्रक्रिया बिलकुल भी बाधित न हो और आप सही मुद्रा में बैठे हों।

जो लोग हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, या अस्थमा जैसी गंभीर चिकित्सा स्थितियों से ग्रस्त हैं, उन्हें अनुलोम विलोम प्राणायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि जिन व्यक्तियों की नाक में किसी प्रकार का अवरोध या श्वसन संक्रमण है, उन्हें भी इसका अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम का सही तरीका इसका प्रभावी अभ्यास सुनिश्चित करता है। इसलिए सही तकनीक का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्राणायाम में नाक के एक नथुने से श्वास लेना और दूसरे नथुने से श्वास छोड़ना होता है। अगर यह प्रक्रिया सही तरीके से नहीं की जाती, तो उसके लाभ उतने प्रभावी नहीं होते है। नियमित अभ्यास करने के साथ-साथ, अपनी श्वास की गिनतियों और समयावधि पर ध्यान देना भी उन्नति के लिए आवश्यक है।

किसी भी प्रकार की अशुद्ध मुद्रा या गलत तकनीक का प्रयोग करने से बचे, क्योंकि इससे शरीर के विभिन्न तंत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। प्रशिक्षित योगगुरु की सलाह और मार्गदर्शन में इस प्राणायाम को करना, सुरक्षित और लाभकारी होगा। ऐसे में, सावधानीपूर्वक और सचेत रहकर अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना, आपके स्वास्थ्य और जीवन शैली को बेहतर बनाने में अत्यंत सहायक हो सकता है।

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FAQ

अनुलोम विलोम प्राणायाम कब करना चाहिए?

इसे सुबह के समय खाली पेट करना सबसे उचित माना गया है। यदि समय की कमी हो तो शाम के समय भोजन के तीन-चार घंटे बाद भी किया जा सकता है।

अनुलोम विलोम कितनी देर करना चाहिए?

इस प्रक्रिया को 10-15 मिनट के लिए प्रतिदिन करना उपयोगी होता है।

अनुलोम विलोम किसे नहीं करना चाहिए?

जो लोग हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, या अस्थमा जैसी गंभीर चिकित्सा स्थितियों से ग्रस्त हैं, उन्हें अनुलोम विलोम प्राणायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि जिन व्यक्तियों की नाक में किसी प्रकार का अवरोध या श्वसन संक्रमण है, उन्हें भी इसका अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है।

अनुलोम विलोम से कौन सा रोग दूर होता है?

श्वास प्रणाली के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम अत्यंत लाभकारी है। यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, श्वास मार्ग को साफ रखने और दमक एवं अस्थमा जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। रक्त संचार को सुधारते हुए, यह हृदय रोगों के जोखिम को भी कम करता है।

पहले अनुलोम विलोम या कपालभाति करना चाहिए?

हाई बीपी के मरीजो को कपालभाति करने के बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम करना चाहिये है। ऐसा करने से उनका बीपी सामान्य अवस्था में आ जाता है।

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